हिमा दास अपने कैरियर में इससे पहले भी भारत के लिए दौड़ चुकी हैं। जहां उन्होंने स्वर्ण और रजत पदक भी जीते हैं। हिमा दास आज जहां हैं वहां तक पहुंचना उनके लिए बहुत ही मुश्किल रहा है। हिमा ने बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया है क्युकी हिमा एक गरीब परिवार से आती हैं। जानेंगे उनके इस प्रेरणात्मक सफर के बारे में लेकिन उससे पहले एक नजर हिमा दास के प्रारम्भिक जीवन पर डालते हैं। और जाने Cristiano Ronaldo Biography In Hindi, Elon Musk Biography in Hindi। सृष्टि गोस्वामी का जीवन परिचय
हिमा दास का जीवन परिचय (Hima Das Biography In Hindi)
विषय सूचि
पूरा नाम | हिमा दास (Hima Das) |
निक नाम | जानकारी नहीं |
जन्मदिन (Birthday) | 9 जनवरी 2000 |
जन्म स्थान (Birth Place) | ढिंग |
पिता का नाम (Father Name) | रोंजित दास |
माता का नाम | जोमाली दास |
राष्ट्रीय पुरुस्कार (National Awards) | अर्जुन अवार्ड (25 सितम्बर 2018) |
नागरिकता (Citizenship) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के एक छोटे से ढिंग नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रंजीत दास है जो कि एक किसान हैं और खेती करके अपने परिवार का पालन करते हैं। हिमा की मां का नाम जोनाली दास है जो कि एक घरेलू महिला हैं। हिमा के चार भाई बहन और हैं और हिमा सबसे छोटी हैं।
हिमा दास की शुरुआती पढ़ाई एक सरकारी स्कूल में हुई है। हिमा को शुरू से ही खेलों में रुचि थी। खेलों के प्रति अपने इसी लगाव के चलते बचपन में वो अपने गांव में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करतीं थी। उस समय वो अपना भविष्य फुटबॉल में देख रहीं थीं।
लेकिन उनके खेल को देखकर उनके टीचर शमशुल हक ने उन्हें उनकी स्पीड के बारे में बताया और उन्हें दौड़ने की सलाह दी। शमशुल हक जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक थे। इनकी सलाह मानकर हिमा ने दौड़ना शुरू किया। शमशुल हक ने उनकी पहचान गौरी शंकर रॉय से कराई जो नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन से थे। यहीं से हिमा का कैरियर शुरू हो गया था।
हिमा दास का कैरियर (Hima Das’s career)
बचपन से हिमा दास को खेलों में लगाव था और वो फुटबॉल में अपना करियर बनाना चाहती थी। लेकिन उनके टीचर शमशुल हक ने उन्हें रेसर बनने की सलाह दी। शमशुल हक के द्वारा गौरी शंकर रॉय से परिचित होने के बाद हिमा दास ने कई जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके बाद हिमा दास गुवाहाटी चली गईं। वहां पर हिमा को 200 मीटर रेस और बाद में 400 मीटर रेस के लिए ट्रेनिंग देना शुरू किया गया। हिमा दास के कोच निपोन दास हैं। जो कि एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान पहली बार हिमा से मिले थे। इस तरह हिमा दास का कैरियर शुरू हुआ।
अप्रैल 2018 में हिमा दास ने आस्ट्रेलिया राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया। जहां उन्होंने फाइनल में पहुंच कर 51.32 सेकंड में छटा स्थान हासिल किया। इसके बाद जुलाई 2018 को हिमा दास ने फिनलैंड में आयोजित विश्व अंडर 20 चैम्पियन शिप 2018 में 400 मीटर फाइनल जीता और स्वर्ण पदक हासिल किया। 2018 के एशियाई खेलों में हिमा दास ने 400 मीटर के लिए क्वालीफाई किया। 26 अगस्त 2018 को उन्होंने 400 मीटर फाइनल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड सुधार कर 50.79 सेकंड का समय लिया और रजक पदक हासिल किया।
हिमा ने 2018 के अपने इस खेल को 2019 में भी बनाए रखा और इस साल पांच गोल्ड मेडल अपने नाम किए जिसमें पहला गोल्ड मेडल 2 जुलाई को पोलैंड में एथलेटिक्स ग्रांड में 200 मीटर रेस में हिस्सा ले कर जीता। उसके बाद दूसरा गोल्ड हिमा ने 7 जुलाई को पोलैंड में ही और वहीं तीसरा गोल्ड उन्होंने 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में 200 मीटर रेस को 23.43 सेकंड में पूरा करके जीता था। चोथा गोल्ड हेमा ने 17 जुलाई को 200 मीटर रेस को जीतकर पाया था। वहीं पांचवा पदक चेक रिपब्लिक में 400 मीटर रेस को 52.09 सेकंड में पूरा करके जीता था।
हिमा दास का संघर्ष (Hima Das’s struggle)
- हिमा दास अंडर 20 चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला हैं।
- हिमा दास को 25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा उनके बेहतरीन प्रदर्शन के चलते अर्जुन अवॉर्ड दिया गया।
- जुलाई 2019 को सिर्फ 21 दिनों में हिमा दास ने पांच गोल्ड मेडल भारत के लिए जीतकर भारत का नाम रोशन किया।
- हिमा दास को 1 नवंबर 2019 को भारत के प्रसिद्ध टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति से बुलावा आया था।
- हिमा असम से दूसरी खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक लाई हैं। इससे पहले असम के भोगेश्वर बरुआ भारत के लिए स्वर्ण जीत चुके हैं
एक समय था जब उनके पास दौड़ने के लिए जूते नहीं थे और आज वो Adidas जैसी बड़ी कंपनी की ब्रांड एंबेसडर है। दोस्तो आपका भी कोई लक्ष्य है और अगर रास्ते में कोई रुकावट है, जिसकी वजह से आप हर मानकर बैठ गए हैं या उस लक्ष्य को पाने के मेहनत नहीं कर रहे हैं। तो में आपसे यही कहूंगा कि वो रुकावट कहीं और नहीं सिर्फ आपके दिमाग में है। क्युकी जिस तरह से हिमा दास ने सारी समस्याओं और रुकावटों से लड़कर को स्थान हासिल किया है उसके बारे में पड़कर तो यही कहा जा सकता है।
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निष्कर्ष
आशा करता हूं कि हिमादास की प्रेरणदायक कहानी (Hima Das Story) ने आपको भी प्रेरित किया होगा। अगर किया है तो हिमा दास की प्रेरणादायक कहानी को आपके साथ शेयर करने का मेरा उद्देश्य पूरा हुआ। अब आप भी इस कहानी को शेयर करें और ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में हमारी मदद करें।